काशी पति सदाशिव कैलाश के बसैया,
ओ विश्वनाथ बाबा तुम तो तन में भसम रमैया,
गल कालिया विराजे नर मुंडनों की माला,
रहते नशे में निशदिन पी पी के भंग प्याला,
संग भूत प्रेत योगिनी योगिनी बेताल के रसिया...काशी,
दाता तुम इस जहान में भोला सदा कहते,
दर तेरे जो भी आते मुंह मांगा वर है पाते
वर देने में अटल हो अटल हो खतरा गजब लेवैया... काशी...
ओ गौरी नाथ स्वामी एक छोटी सी है अरजी,
तारो ना तारो मुझको भोला तुम्हारी मर्जी,
ओ"परमानंद"खबर लो खबर लो शिव डमरू के बजैया...काशी...
गायक-गिरधर महाराज
लेखक-परमानंद