बेटी तो वो चिड़िया जिसे इक दिन उड़ ही जाना है
लेकर केवल दाना पानी गाती मधुर तराना है
पंख हैं कोमल फिर भी सबसे ऊंचा उड़ना चाहे वो
पांव हैं छोटे फिर भी सबसे आगे बढ़ना चाहे वो
छूना है आकाश ये सारा इसने मन में ठाना है
ये जननी है राम कृष्ण और संतो पीर फकीरों की
ये तो बहन है भगत सिंह और बिस्मिल जैसे वीरों की
वेद पुराण सभी ने इसको देवी तुल्य माना है
गीत व स्वर राजकुमार भारद्वाज
मो 90 3458 1000