रे साधक सावधान
एक-एक इन्द्रि के वश में सबने प्राण गवाये - 2
जिणरी पाँचों नाही वश में भाई उणरा कौन हवाल ? साधक सावधान !
रूप रे वश में भया पतंगा, आकर्षण लुभाये रे - 2
जाय पड्यो अग्नि रे भीतर, देह भस्म कर जाय रे - 2
भँवरा भया सौरभ रे वश में, जा बैठा पुष्पों के माय
नाक सुगन्धि रिझाये रे, फूल में कलमा जाये रे - 2
रसना रे वश में मीन भयी, मीठा स्वाद सुहाय रे - 2
काटा कंठ पसार रे, तड़प-तड़प मर जाय रे - 2
काम रे वश गजराज भया, देखी गजनी कागद री -2
शक्तिहीन खुद को कर बैठा, नाथ डाल ले जाय -2
कानो रे वंश में हिरणी भयी, सुन सुन्दर हो राग रे -2
गयी शिकारी हाथों में, गंवाई सुन्दर देह अपनी - २