मेरी झुँझन वाली बदल ती तकदीरे,
कभी जल्दी जल्दी कभी धीरे धीरे,
मेरी झुँझन वाली बदल ती तकदीरे,
कहते है कोई बदल न पाता है हाथो की रेखा,
पर ये करिश्मा हम ने माँ को रोज ही करते देखा,
तभी तो ये दुनिया दीवानी इस की रे,
मेरी झुँझन वाली बदल ती तकदीरे,
दीं दुखी लाखो ही आते है मैया के द्वारे,
वारि वारि से मेरी मैया सब के काजा सवारे,
यहाँ पर तो भर्ती झोलियाँ सबकी रे,
मेरी झुँझन वाली बदल ती तकदीरे,
अगर भरोसा सच्चा हो तो काम बने इक पल में,
देर उन्ही को लगती जिनके शंका रहती मन में
कहे सोनू रखो भावना सच्ची रे,
मेरी झुँझन वाली बदल ती तकदीरे,