तेरे सिवा माँ कही है न ठिकाना,
दर दर भटका हु देखा ज़माना,
तेरे सिवा माँ कही है न ठिकाना,
जाऊ तो जाऊ किस चौकठ पे जाऊ,
दुःख अपने मन के मैं किसको सुनाऊ,
बहुत रो चूका हु अब न रुलाना,
तेरे सिवा माँ कही है न ठिकाना,
मात भवानी मुझे चरनी लगा लो,
जैसा भी हु मियां मुझको निभा लो,
हर इक मुसीबत से मुझको बचाना,
तेरे सिवा माँ कही है न ठिकाना,
बेटा जगे तो माँ ही न सोती,
बेटा दुखी हो तो माँ भी रोटी,
माँ जैसा कोई न कहता ज़माना,
तेरे सिवा माँ कही है न ठिकाना,