चाहे नचाले जितना अपने दरबार में मुझको नचाना न तू जूठे संसार में,
सारी दुनियां घूम के बाबा आया शरण तिहारी,
सौंप दी डोरी अब तो तुम को शिव शंकर त्रिपुरारी,
कट जाये सारा जीवन तेरे ही प्यार में,
मुझको नचाना न तू जूठे संसार में,
जिसने तुम पर किया भरोसा फल उसने ही पाया,
अजब निराली लीला तेरी कोई समज न पाया,
आने लगा है आनंद तेरी जय जय कार में,
मुझको नचाना न तू जूठे संसार में,
तेरा ही बाबा के पुजारी अब तो मुझको जीना,
तू ही मेरा भाग्यविद्याता छूटे दरबार कभी न,
तेरे होते न डुभे नाइयाँ मजधार में,
मुझको नचाना न तू जूठे संसार में,