नंदी बैल पर चढ़ कर आई

बस्म लगा कर भांग चड़ा कर भूतो को ले साथ,
नंदी बैल पर चढ़ कर आई भोले की बारात,

तीन लोक के दाता कैसे मस्त्कलंदर बन बेठे,
कैसा अद्भुत खेल रचाया बिलकुल बंदर बेठे,
ब्रह्मा विष्णु देबता घन भी सारे ही टकराए है,
सारे जग ले मालिक देखो कैसे वेश में आये है,
ना जाने कौन सी लीला दिखाये गे आज,
नंदी बैल पर चढ़ कर आई भोले की बारात,

रूप रचया रचने वाले ने कैसा आज अनोखा,
जो भी देखे त्रिलोकी को वो खा जाये धोखा,
आगे पीछे नाच रही है बस भूतो की टोली,
बीच में शंकर शम्भू झूमे बन उनके हम झोली,
आज तलक ना देखि किसी ने एसी कही बारात,
नंदी बैल पर चढ़ कर आई भोले की बारात,

नाच रहा खुद डमरू खुद ही नाच रहा तिरशूल,
तीन लोक के स्वामी है खुद आज गए वो भूल,
गूंज रही है चारो तरफ ही भूतो की किलकारी,
देख के रूप जटाधारी का भाग रहे नर नारी,
शर्मा शीश झुकाए तेरी जय हो भोले नाथ,
नंदी बैल पर चढ़ कर आई भोले की बारात,
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