जीवन है बेकार भजन कर दुनिया में

दोहा : कौन होता है कब किसी का, दम निकल जाने के बाद
       खाक रह जाती है बाकि जिस्म जल जाने के बाद
       अरे मूरख तू अपने ही मद में बैठा चूर है
       इसीलिए तो प्रभु भी तुमसे कोसों दूर है

जीवन है बेकार भजन कर दुनिया में
झूठा है यह संसार भजन कर दुनिया में

बड़े भाग्य से नर तन पाया,
इसमें भी हरी गुण नहीं गाया ।
किया ना प्रभु से प्यार, भजन बिन दुनिया में,
जीवन है बेकार भजन बिन दुनिया में ॥

माया ने तुझको बहकाया,
संग चले ना यह तेरी काया ।
क्यों बनता है होशियार, भजन बिन दुनिया में,
जीवन है बेकार भजन बिन दुनिया में ॥

धन दौलत और महल खजाने,
जिनको मूरख अपना जाने ।
जायेगा हाथ पसार, भजन बिन दुनिया में,
जीवन है बेकार भजन बिन दुनिया में ॥

क्या लेकर तू आया जगत में,
क्या लेकर तू जायेगा संग में ।
रे मत मंद गवार, भजन बिन दुनिया में,
जीवन है बेकार भजन बिन दुनिया में ॥

यम के दूत तुझे लेने को आए,
रो रो डरके तू चिल्लाए ।
तोहे पड़े करारी मार, भजन बिन दुनिया में,
जीवन है बेकार भजन बिन दुनिया में ॥

अपने गुरु की शरण में जाओ,
जीवन अपना सफल बनाओ ।
तब होगा उद्धार, भजन बिन दुनिया में,
जीवन है बेकार भजन बिन दुनिया में ॥
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