अल्खनिरजन का डम डम डमरू भाजे,
हाथ रहे तिरशूल माथे पे चंदा साजे,
होके अडिग जो विरुद्ध सब का होके खड़ा है,
देवा दी देव महादेव जग में सब से बड़ा है,
वो महाकाल है कालो का काल है,
वो शिव शंकर तो सब से विशाल है.
पी के हला हल अटल है आज भी अजर अमर है,
तीन लोक आधीन है इसको किसका दर है,
आधी अनादि काल से सब कुछ रहा देख वो,
असुरियो के सीने तिरसूल से रहा भेद वो,
वो महाकाल है कालो का काल है,
वो शिव शंकर तो सब से विशाल है.
साधू सन्यासी योगी शिव मसान वासी,
हरिद्वार के बहार इन्ही के इनकी काशी,
जंतर मंत्र सब शिव के है सब तंत्र है शिव का,
दशो दिशाओं में जय कारा गूंजे शिव का,
वो महाकाल है कालो का काल है,
वो शिव शंकर तो सब से विशाल है.