जटा में गंगा को जिसने बाँध लिया सोने की लंका का रावन को दान दिया
हाथो में है तिरशूल है पकड़ा गल नागो की माला है
मेरे भोले का रूप निराला है मेरे शंकर का रूप निराला है,
देवी देवते भुत चुदैला मोह माया एहदे हथ दियां खेला
पिंडे अपने भस्म रमाये ना गोरा न काला है ,
मेरे भोले का रूप निराला है मेरे शंकर का रूप निराला है,
नील कंठ केलाश पति है शिव ही मेरे पार्वती है,
त्रिलोक के स्वामी मेरे तीन ही नेत्र वाला है,
मेरे भोले का रूप निराला है मेरे शंकर का रूप निराला है,
राजू मंगदा एहो दुआवा पूजे तेनु विच जग्रावा,
जिसने तेरी महिमा गाई सोनी तो किस्मत वाला है,
मेरे भोले का रूप निराला है मेरे शंकर का रूप निराला है,