बड़ी दूर से ये कावड़ियाँ द्वार तुम्हारे आये है,
ये गंगा जल लेकर भोले तुम्हे चढ़ाने आये है,
कोई काशी कोई हरिद्वार से भर कावड़ियाँ लाया,
आशुतोष बगम्बर धारी भोले नाथ तुम्हे चढ़ाया,
भगवा धारी कही रुका न बस तेरी लगन लगाए है,
ये गंगा जल लेकर भोले तुम्हे चढ़ाने आये है,
देवघर वाले भोले बाबा की जग में शान निराली,
ओहघर दानी दान दे वहियाँ भरते झोली खाली,
तेरे द्वार से खाली गया ना जो माँगा सो पाए है,
ये गंगा जल लेकर भोले तुम्हे चढ़ाने आये है,
सुबहो शाम वे नाम ये बोले भोले हर हर दम दम,
तेरे सुमिरन कर के बाबा मिट जाता हर इक दम,
सच्चे मन को तुम को ध्यावे तेरे दर्शन पायेहै,
ये गंगा जल लेकर भोले तुम्हे चढ़ाने आये है,