केवल गुरु किरपा सब नु तारदी भव सागर पार उतार दी,
गुरु किरपा गुरु किरपा,
गुरु ही ब्रह्मा गुर ही विष्णु,
गुरु ही देवो महेष्वरा,
गुरु ही साक्शात परम भरम पार भरम परमेश्वरा,
नजर मेहर जिंदगी सवार दे भव सागर पार उतार दे,
केवल गुरु किरपा सब नु तारदी भव सागर पार उतार दी,
गुरु है जनि जान दिला दे अनदरा दी ओह जान दे,
लख छुपा तू आप अपना ओह ता सब पहचान दे,
श्रद्धा दिला दे अन्द्रो पुकार दी भव सागर पार उतार दी,
केवल गुरु किरपा सब नु तारदी भव सागर पार उतार दी,
दुख च रुलदा मुक्ति चावे आये कदे गुरु शरण न,
गुरु दी शक्ति पाप कट दी गुरु बिन मिलदा ज्ञान न,
तप्दी आत्मा नु जो है ठार दी भव सागर पार उतार दी,
केवल गुरु किरपा सब नु तारदी भव सागर पार उतार दी,
सारे द्वारे छड़ के मैं ता आ बैठी तेरे द्वार ते,
कई ता आये श्री सतगुरु मेरे इक मैनु भी तार दे,
मैं ता धूल हां तेरे द्वार दी,भव सागर पार उतार दी,
केवल गुरु किरपा सब नु तारदी भव सागर पार उतार दी,