सन्ता रे चरणा में चित्त म्हारो लागियो.....
सन्ता रे चरणा में चित्त म्हारो लागियो,
सन्ता रे शरणा में आनन्द पाये,
भीगी-भीगी,,
भीगी भीगी गेरुए रंग म्हारी चुनरी,
गुरुवर री मेहर हुई जो बरसाए,
सन्ता रे चरणा में......
मन अति प्रसन्न भयो, गुरुवर रे रंग थयो,
मन अति प्रसन्न भयो, संतों रे संग थयो,
रंग भयो संग थयो, मन अति प्रसन्न भयो,
पूर्व पूण्यों सू मिल्या, आप म्हाने बापजी,
आपरे ही चरणा में शीश नवाये,
भीगी भीगी......
मौजी-मस्त इण फकीरों का है देश ये निराला,
जग री रीत सारी जीत पाते सबको अमर प्याला,
सन्त आया तारणे, जग को उद्धार ने,
कोटि-कोटि जन्मों रा पाप मिटाये,
भीगी-भीगी......
रचनाकार - साध्वी देवपूजा जी