दातया खोल दे तू मेरे भी नसीब को

दातया खोल दे तू मेरे भी नसीब को,
तार दे तू दाता इस गरीब को,
खोल दे तू मेरे भी नसीब को....

तेरे दर आके दुख दिल के मैं रोता हूँ,
अश्कों से तेरे दाता चरणों को धोता हूँ,
गले से लगा लो बदनसीब को,
खोल दी तू मेरे भी नसीब को...

ज्योत मैं जगाऊँ तेरी सांझ सवेरे,
दूर करो दाता मेरे गम के अंधेरे,
भूलों ना अपने तुम अजीज को,
खोल दे तू मेरे भी नसीब को....

अपने भक्तों को दाता दे दो दिलासा,
भक्तों की पूरी कर दो दाता तुम आशा,
खोल दे तू मेरे भी नसीब को.....

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