गंगा जल को कलश में भर के चल कावड़ियाँ तू शिव के धाम,
तेरी कामना पुरण होंगी करे गे भोले भंडारी कल्याण
कावड़ लेकर चलते चलते पड़ गए तेरे पाँव में छाले,
दर्द व्यान न कर तू किसी से इसको तू अपने मन में छुपा ले,
अंतर यामी भोले नाथ है पीड़ा हर के सुख करेंगे प्रधान,
तेरी कामना पुरण होंगी करे गे भोले भंडारी कल्याण
हुए मनोथर पूरन सारे सावन में जो गंगा जल लाया,
शरधा भाव से उस ने गंगा जल भोले शंकर पे चढ़ाया,
परगट होके मेरे भोले भाले ने बना दिए है सारे बिगड़े काम,
तेरी कामना पुरण होंगी करे गे भोले भंडारी कल्याण
भोले के दरबार से खाली हाथ गया न कोई सवाली,
खुशियों के बदल है बरसे जीवन में आई खुशाली,
किरपा शार्दुल संजय पे करना जो रट ते है भोले सुभो शाम,
तेरी कामना पुरण होंगी करे गे भोले भंडारी कल्याण