गौरी माँ के लाल पधारे
देवो के इक देव हमारे
रिद्धि सिद्धि सुख के दाता
आज चलें खुद संग हमारे
देवा रे गणपति देवा रे
मैंने आस लगाई मैंने कृपा पाई
तेरी एक दया से मैंने तो मंज़िल पाई
वेदों ग्रंथो में तेरा आदर
कृपा दया के तुम हो सागर
पाप बढ़ा जब जब धरती पर
सत्य किया तुमने ही उजागर
देवा रे गणपति देवा रे
मेरे देव गजानन मेरे विघ्न विनाशन
मेरे मंगल मूर्ति मेरे शुभ गन कानन
लाल बाग़ के तुम हो राजा
मस्तक पे अब तेज विराजा
दुखियाँ निर्बल के रखवाले
तोड़ दिए अज्ञान के ताले
देवा रे गणपति देवा रे
गैरो माँ के लाल पधारे
देवो के एक देव हमारे
रिद्धि सिद्धि सुख के दाता
आज चलें खुद संग हमारे