गिरजानंदन शिव के दुलारे,
रिधि सीधी के दाता प्रथम पुजियो हो,
तुम देवो में कार्तिके के भराता,
गिरजानंदन शिव के दुलारे….
एक बार शंकर से पूछा पुत्रो ने भ्रमाये,
प्रथम पूज्य है कौन सुरों में हम को दो ये बताये,
कथा है इस की बड़ी निराली जग सारा ये दाता,
गिरजानंदन शिव के दुलारे…
शिव शंकर बोले वो तुम में प्रथम पूज्य कहलाये,
परिक्रमा तीनो लोको की पेहले जो कर आये,
बड़ी कठिन है परीक्षा मेरी देखो कौन निभाता,
गिरजानंदन शिव के दुलारे…..
कार्तिके कर मोर सवारी दूर गगन को धाये,
गणपति ने गोरी शंकर के फेरे वही लगाये,
केहने लगे भ्र्मांड तुम्ही हो मेरे पिता और माता,
गिरजानंदन शिव के दुलारे….
जद गद हो भोले ने घनायक को गले लगाया,
बोले हे लम्बोदर तू ही प्रथम पूज्य केहलाया,
पुत्र वही जो मात पिता के चरणों में सब कुछ पाता,
गिरजानंदन शिव के दुलारे……