मूषक पे लम्बोदर आला

देखो लम्बोदर है सूंड वाला,
सारे जग में वो सब से निराला,
आला आला रे मूषक पे लम्बोदर आला

गिरजा का ललना तू शिव का दुलारा तन मन से तेरे मैं पहियाँ पडू,
सारे जन करते है पूजा तुम्हारी महिमा मैं कैसे व्यान मैं करू,
तेरे मूषक का रंग है काला सारे जग में तू सब से निराला,
आला आला रे मूषक पे लम्बोदर आला

माता का तू आज्ञा करि है बालक वचनो से अपने न तू है हटे,
गोरा का आदेश पालन करते करते तिरशूल से तेरा कटे,
ऐसा पिए माँ अमृत का प्याला सारे जग में है सब से निराला,
आला आला रे मूषक पे लम्बोदर आला

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