गजानन शम्बू के नंदन तेरी जय हो सदा जय हो
ये शीश पर मोर मुकुट सोहे
देख ऋषियो का मन मोहे
सुरासुर करते है वन्दन तेरी जय........
तुम्हारा नाम अविनासी
छुडावे काल की पासी
छुडावे मोह के बन्धन तेरी जय.........
तेरा जो नाम लेते है
वो भवसागर से तरते है
रहे तेरी किरपा हमपर तेरी जय........