गौरां तेरा लल्ला बिगड़ गयो रे

गौरां तेरा लल्ला बिगड़ गयो रे

गौरां, तेरा लल्ला, बिगड़ गयो रे ॥
मूषक के, संग में, शैतानी करे रे ॥

आसन पे, मलमल का, कपड़ा विछाया ॥
मलमल का, कपड़ा, कुतर गया रे ॥
मूषक के, संग में, शैतानी करे रे ॥
गौरां, तेरा लल्ला, बिगड़ गयो रे...

चन्दन की, चौकी पे, कलछ भराया ॥
कलछ, का जल, लुढ़काए गयो रे ॥
मूषक के, संग में, शैतानी करे रे ॥
गौरां, तेरा लल्ला, बिगड़ गयो रे...

भोग के, लिए मैंने, मोदक बनाए ॥
मूषक, वो मोदक, जूठे कर गयो रे ॥
मूषक के, संग में, शैतानी करे रे ॥
गौरां, तेरा लल्ला, बिगड़ गयो रे...

सोने की, थाली में, आरती सजाई ॥
जाने वो, कहाँ जा के, छिप गयो रे ॥
मूषक के, संग में, शैतानी करे रे ॥
गौरां, तेरा लल्ला, बिगड़ गयो रे...

पैरों में, गणेश जी को, पायल पहनाई ॥
अँगना में, छम छम, नाच गयो रे ॥
मूषक के, संग में, शैतानी करे रे ॥
गौरां, तेरा लल्ला, बिगड़ गयो रे...

अपलोडर- अनिलरामूर्तिभोपाल

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