सुनो श्याम क्यों तुम लगाते हो काजल,
हमरी नजर बेअसर हो रही है,
पाओ की अपने न खंकाओ पायल,
चाहत मेरी बेसबर हो रही है,
हुई वनवारी मैं हुई मैं तेरी पागल,
नजर क्यों न तेरी इधर हो रही है,
निगाओ निगाओ में होने दो हलचल,
जमाने को सारी खबर हो रही है,
राधा तुम्ही हो मेरी प्रेम धारा,
तुम्हारे बिना न आधा हमारा,
तुम्ही मेरी नजरो में रहती हो हर पल,
जो हालत उधर है इधर भी वही है,
तुम्ही प्रीत मेरी तुम्ही मीत मेरे,
तुम्ही साज सरगम हो संगीत मेरे,
अधरों से तेरे ये मधुर रस की बारिश कन्हियाँ न जाने किधर हो रही है,
मैं तेरा संवारा तू मेरी संवारी,
मैं दीवाना तेरा तू मेरी वनवारी,
मैं दीवाना तेरा तू मेरी वनवारी,
ख्यालो में तेरे पता न चले गी,
हुई श्याम कब दोपहर हो रही है,
सुनो मेरे मोहन सुनो हे कन्हियाँ,
रखना हमें अपनी पलको की छइयां,
हमारी कसम न कभी दूर होना,
मेरे दिल में दर की लहर हो रही है