चलो चलो ऊंचे पर्वत से माँ का संदेशा आया,
फैला कर के बाहे माँ ने भवन में तुम्हे भुलाया,
जिस दर का भिखारी संसार,
चलो जी चलो माँ का करे दीदार,
खुशियों से भर देगी झोली,
सीधी सादी माँ है भोली,
खुले हाथ से महारानी यहाँ प्यार बरसाया,
फैला कर के बाहे माँ ने भवन में तुम्हे भुलाया,
जिस दर का भिखारी संसार,
चलो जी चलो माँ का करे दीदार,
रोक न पग आगे बढ़ने दे,
पाओ में छाले पड़ने दे,
उसको उतनी मिली है खुशियां जिनता कष्ट उठाया,
फैला कर के बाहे माँ ने भवन में तुम्हे भुलाया,
जिस दर का भिखारी संसार,
चलो जी चलो माँ का करे दीदार,
शिल्पी नींद से खुद को जगा ले चल सोइ किस्मत को जगा ले,
मिला बेधड़क उसको सब कुछ जो इस दर पे आया,
फैला कर के बाहे माँ ने भवन में तुम्हे भुलाया,
जिस दर का भिखारी संसार,
चलो जी चलो माँ का करे दीदार,