माई नव दिन की मेहमान, गवुर बाई आई पावणी।
थारा गरबा म नाचे सारी रात, गवुर बाई आई पावणी।।
देवउं झालरिया घूमी घूमी आज, गवुर बाई आई पावणी।।
दादुर मोर पपिहा बोले-2
असी कोयलड़ी कूके डार, गवुर बाई आई पावणी।
ओ मैया कर सोलह श्रृंगार, गवुर बाई आई पावणी।
माई नौ दिन की मेहमान.........
ब्रह्ममा जी नाचे विष्णु जी नाचे-2
असा भोले बाबा डमरू बजाय, गवुर बाई आई पावनी।
थारा गरबा म नाचूं सारी रात.........
चंदा भी नाचे सूरज भी नाचे-2
असा तारा भी शोर मचाय, गवुर बाई आई पावनी।
ओ माई कर सोलह श्रृंगार, गवुर बाई आई पावनी।
माई नव दिन की मेहमान, गवुर बाई आई पावनी।।
। डॉ सजन सोलंकी।
मोब 9111337188