जरा चल के अयोध्या जी में देखो राम सरयू नहाते मिले गे,
जन्म भूमि पे मंदिर मिला गा जिसके रखवाले बजरंग बलि है,
अंजनी लाल अपनी गधा से पापियों को मिटाते मिले गे,
जरा चल के अयोध्या जी में देखो राम सरयू नहाते मिले गे,
राम पर उठा ते है ऊँगली खुद ही उठ जायेगे इस धरा से,
राम के है जो है राम उनके शबरी सा वेर खाते मिलेंगे,
जरा चल के अयोध्या जी में देखो राम सरयू नहाते मिले गे,
वीर सुग्रीव है मित्र जिनके जिनकी सेना में नल नील अंगद ,
अपने वानो से धर्म ध्वजा को रक्शॉ से बचाते मिलेंगे,
जरा चल के अयोध्या जी में देखो राम सरयू नहाते मिले गे,
माँ कोशलेया की आँखों के तारे,
राजा दशरत को वानो से प्यारे,
भरत भइयाँ लखन शरतु घन संग भक्तो को आते जाते मिले गे,
जरा चल के अयोध्या जी में देखो राम सरयू नहाते मिले गे,
जो है राघव की प्रिये राजधानी,
राम राजा याहा सीता रानी,
दविंदर कुलदीप पर राम किरपा भक्त भक्ति लुटाते मिलेंगे ,
जरा चल के अयोध्या जी में देखो राम सरयू नहाते मिले गे,