राम भी आकर यहाँ दुःख सह गये
तुलसी अपनी रामायण में कह गये
राम मर्यादा सिखाने आये थे
धर्म के पथ पर चलाने आये थे
राम भी आकर यहाँ दुःख सह गये
प्रेम हो तोह भारत जैसे भाई का
राज चरणों में रहा रघुराई का
जुलम केकई के भारत भी सह गये
उर्मिला साक्षात् सती की शान है
जिसकी आरती से जगत हैरान है
लखन आकर खुद चकित हे रह गये
जिंदगी दसरथ की बीती श्राप में
प्राण त्याग दिए राम वियोग में
हम यहाँ पर तन सजाते रह गये