जब सुबह सवेरे चहके चिड़ियाँ माता के दरबार में,
जरा जरा गूंज रहा माँ तेरे ही जैकार से,
जय माँ जय माँ,
नदियों की धारा में माँ झरनो की कल कल में माँ,
पर्वत और गुफाओ में सागर की हलचल में माँ,
फूलो और कलियों में माँ बहती मस्त हवा में माँ,
गुलशन और नजारो में महकी महकी फिजा में माँ,
नाम देता माँ का बवरो की गुंजार में,
जरा जरा गूंज रहा माँ तेरे ही जैकार से,
ग्यानी ध्यानी जपते माँ घर आंगन चौबारे माँ,
कण कण माँ की महिमा है बेटे सभी पुकारे माँ,
साधु की माला में माँ संतो की वाणी में माँ,
सब के होठो पर है माँ ऐसी है कल्याणी माँ,
मैया जी का नाम समाया सांसो के हर ताल में,
धरती अम्बर गूंज रहा माँ तेरे ही जैकार से,
जब सुबह सवेरे ...
जिस से है दुनिया रोशन वो जन जनि माँ कहलाये,
बड़भागी है वो नर तन जो माँ की ममता पाए,
जो भी आता माँ की शरण में आ कर कहता जय हो माँ,
माँ नाम बड़ा पावन है यहाँ भी देखो वह है माँ,
माँ की पूजा युगो युगो से होती है संसार में,
जरा जरा गूंज रहा माँ तेरे ही जैकार से,