क्यों पीवे तू पानी हंसिनी,क्यों पीवे तू पानी,
सागर खीर भरा घट भीतर,
पीयो सूरत तानी हंसिनी,
क्यों पीवे तू पानी ।
जग को जार धसो नभ अंदर,
मंदर परख निशानी हंसिनी,
क्यों पीवे तू पानी ।
गुर मूरत तू धार हिये में,
मन के संग क्यों फिरत निमाणी हंसिनी,
क्यों पीवे तू पानी ।
तेरा काज करे गुर पूरे,
सुन ले अनहद वाणी हंसिनी,
क्यों पीवे तू पानी ।
करम भरम बस सब जग बौरा,
तू क्यों होत दीवानी हंसिनी,
क्यों पीवे तू पानी ।
सूरत सम्भार करो सत-संगत,
क्यों बिख अमृत सानी हंसिनी,
क्यों पीवे तू पानी ।
तेरा धाम अधर में प्यारे,
क्यों धर संग बंधाणी हंसिनी,
क्यों पीवे तू पानी ।
जल्दी करो चढ़ो ऊंचे को,
राधास्वामी कहत बखानी हंसिनी,
क्यों पीवे तू पानी ।
क्यों पीवे तू पानी हंसिनी,क्यों पीवे तू पानी ॥