तू सोच जरा इंसान तेरी क्या हस्ती है,
तू दो दिन का मेहमान जगत में करता फिर घुमान,
तेरी क्या हस्ती है,
कोड़ी कोड़ी माया जोड़ी घट घट के मर जाये,
कब इसका उपभोग करेगा.
लौट के ना आये दूजा मालिक बन बैठेगा निकले गे जब प्राण,
तू सोच जरा इंसान तेरी क्या हस्ती है,
देखत देखत बचपन बीता ढल गई तेरी जवानी,
बीत गई अपादा पे तेरी ये ज़िंदगानी,
ना जाने किस घडी जगत से तेरा हो परसथान,
तू सोच जरा इंसान तेरी क्या हस्ती है,
जितना दाना पानी तेरा जग में प्यार लुटाना,
अपने दिल की और दिलो पर छाप छोड़ कर जाना,
बिणु जग की चा छोड़ दे प्रभु का कर गुण गान,
तू सोच जरा इंसान तेरी क्या हस्ती है,