नाच नाच के नाच नाच के होती नहीं है बस राम के भक्त बड़े ही मस्त,
राम नाम का अमृत पीते राम नाम से झूम के जीते,
राम नाम को रट ते रहते लेके नहीं है रष्ट,
राम के भक्त बड़े ही मस्त
राम की नगरी जो भी आया मुँह माँगा वो सब कुछ पाया,
सरजू के पानी जी से कट जाते सब कष्ट,
राम के भक्त बड़े ही मस्त
सच्चा ये दरबार है प्यारा सारे जग में बड़ा न्यारा,
गगन दीप भी गाते गाते होता नहीं है तत,
राम के भक्त बड़े ही मस्त