जिनको तुम्हने सेठ बनाया वो क्या रिश्ते दार है,
उनसे प्यार है हमसे टकरार है,
सेठ जो आते वृन्दावन में वि आई पि उन्हें बनाते हो,
हम जो आते दर्शन को तो ढके बड़े खिलाते हो,
लोग भी अब तो पूछे मुझसे कैसा तेरा यार है,
उनसे प्यार है हमसे टकरार है,
सेठ जी लाये छपन भोग बड़े चाव से खाते हो,
हम खिलाये जो तुम को तो नखरे बड़े दिखाते हो,
ढोल भजा कर बैठु गा मैं किस का चालु व्यपार है,
उनसे प्यार है हमसे टकरार है,
ये लम्भी लम्भी गाडी वाले ऐटिटूड में रहते है,
तू लाख हमे ठुकराए फिर भी ई लव यू कहते है,
कहे किशोर दास दीवाना ये सेठो का सरताज है,
उनसे प्यार है हमसे टकरार है,
जाकर मैं तो बरसाने शिकायत तेरी लगाओ गा,
सब सखियों से कह दूंगा और खरी खोटी सुनवाऊ गा,
बरसाने में चले न तेरी वाहा श्यामा यु सरकार है,
उनसे प्यार है हमसे टकरार है,