छंद - मात्थे मुकुट देखो,चन्द्रिंका चटक देखो
भ्रकुटि मटक देखो,मुनिं मन भाई है
टेड़ी सी अलक देखो,कुंडल झलक देखो
चंचल पलक देखो,महा सुखदाई है
सुंदर कपोल देखो,अधर अमोल देखो
लोचन सलोल देखो,खंज़न लजाई है
बंशी रंमधोर देखो,सांवरों किशोर देखो
वृन्दावन और देखो,कैसी छविं छाई है
तर्ज़ - ( पहले वैखे नैंन मैं तेरे,फिर वैखेया तैंनूं नी )
वृन्दावन धाम हमें तो, प्राणों से भी प्यारा है
तीनों लोकों को रसिकों ने, वृन्दावन पे वारा है
के मैं भी बस जाऊं वहां, के मैं भी बस जाऊं वहां
जहां यमुना किनारा है, बहे प्रेम की धारा है
वृन्दावन....
1.वृन्दावन धाम हृदय है,प्यारे कुंज बिहारी का
वृन्दावन में राज है चलता,मेरी श्यामा प्यारी का
के इन कुंज गलियों का,के इन कुंज गलियों का
बड़ा सुंदर नज़ारा है,यही भगती का द्वारा है
वृन्दावन धाम हमें तो,प्राणों से भी प्यारा है...
2.वृन्दावन की लता-पता भी,राधे-राधे गाती हैं
वृन्दावन की लीला प्यारी,मेरे मन को भाती है
ये दिल मेरा कहता है,ये दिल मेरा कहता है
नहीं कोई हमारा है,वृन्दावन में गुज़ारा है
वृन्दावन धाम हमें तो,प्राणों से भी प्यारा है ...
3.धन वृन्दावन धाम रगिंलो,धन वृन्दावन वासी हैं
वृन्दावन के रसिक धन्य,जो श्यामा-श्याम उपासी हैं
ये चित्र विचित्र कहें,ये चित्र विचित्र कहें
पागल ने विचारा,यही भगती का द्वारा है
वृन्दावन धाम हमें तो,प्राणों से भी प्यारा है ...
बाबा पागल धसका पानीपत
संपर्कंसुत्र-7206526000