माना के है भव गेहरा कठिन उसका सफर है,
जब साथ में श्याम तो किस बात का डर है,
जब से लगी है दिल को मेरे श्याम की लगन ,
अब से मेरी आँखों में वसा खाटू नगर है,
जब साथ में श्याम तो किस बात का डर है,
क्या चीज बंदगी है पता तब चला मुझे,
श्री श्याम की चौकठ पे जुका जब मेरा सिर है,
जब साथ में श्याम तो किस बात का डर है,
वो दानी है वर्धनी दयालु है किरपालु,
जो मांग वाले है उन्हें इसकी खबर है,
जब साथ में श्याम तो किस बात का डर है,