सुनता है तू सबकी ये कहते सारे है,
मेरी भी सुन लेना अब तू क्यों विचारे है,
सुनता है तू सबकी.......
मुदत से जीवन में छाया क्यों अन्दरा है,
मुझको तो लगता है जीवन का फेरा है,
न दर के सिवा तेरे कही हाथ पसारे है ,
सुनता है तू सबकी......
माना की हाथो पे किस्मत की नही रेखा,
जो बीत रही मुझपे क्या तूने नही देखा ,
हर बिगड़ी क़िस्मत को तू ही तो सवारे है,
सुनता है तू सबकी
पापो भी कपटी भी याहा मौज में रहते है,
तेरे भक्त कई बाबा गम पल पल सहते है,
जालान न समज सके जो खेल तुम्हारे है,
सुनता है तू सबकी