माता अनुसुइया जी ने डाल दिया पालना ,
झूल रहे तीन देव बनकर के लालना.
बालक की भांति प्रभु रुधन मचावे ,
ब्रह्मा और भोले से संकेत में बतावे.
लेने आये भेद यहाँ घली नहीं दालना.
झूल रहे तीन...
मेरे घर आए मुजे देने पढाई ,
भूल गए आज अपनी सारी चतुराई,
भारत की देवियो से हुआ आज सामना,
झूल रहे तीन...
कोई गरुड़ पाल, कोई श्रष्टि के रचइया,
कोई बैठे नांदिया पे डमरू बजइया,
ऐसे फसे तीन देव पूछे कोई हालना,
झूल रहे तीन ...
तीन देवी दुखी होकर कुटिया पधारी,
माता मोहे पति देदो विनती हमारी,
,तीन पुत्र तीन वधु आये मेरे आंगना,
झूल रहे तीन ..
माता अनुसुइया जी ने डाल दिया पालना ,
झूल रहे तीन देव बनकर के लालना,
।।कुलदीप ,कमलेश मेनारिया।।
कृष्ण नगर (आलाखेड़ी)
9799294907