तुम मोरी राखो लाज हरि

तुम मोरी राखो लाज हरि,
तूम जानत सब अंतरयामी करनी कशु न करी
तुम मोरी राखो लाज हरि,

ओगुन मो से विस्रथ ना ही
विस्रथ ना ही मोसे विस्रथ ना ही
पल छीन घडी घडी सब परपंच की ओट बाँध के अपने शीश धरी
तुम मोरी राखो लाज हरि,

दारा सूत मन मोह लिए है
मोह लिए है मन मोह लिए है
सुध बुध सब विसरी सुर पतित को वेग उभारो अब मोरी नाव भरी
तुम मोरी राखो लाज हरि,

श्रेणी
download bhajan lyrics (758 downloads)