ऐसी लगन लगा दो ना चाहे सारा जग छुटे मुझे जग में वसा लो न,
अरमान है मेरे मन के युगल चरण चुमू नित ब्रिज की रज बन के,
अम्बर में घटा छाई नैन घन बरस रहे कार्लो न सुनवाई,
भागो में कलियाँ खिले दिल को तसली हो जब ब्रिज की गलियां मिले,
सागर में तरंग उठे बांकी झांकी कर तट यामुना प्राण छुटे,
परस यश को तज के गोपाली पागल श्री हरिदास भजे धज के