राम भजो डर काको

संता राम भजो डर काको
भजियो ज्याको विश्वास राख ज्यो ,सायब भिड़ी थांको

श्री यादे सिमरण ने बैठी ,नचो ढाब धणिया को
जलती अग्नि बचिया उबारिया, आव पाक ग्यो आको,

भक्त प्रहलाद ने परच्यो पायो ,पायो साध सतिया को,
ताता खम्ब से बाथ भराई ,मेट्यो नाम पिता को,

दस माथा ज्याके बीस भुजा ,रावण बण गयो बांको,
एक एक ने काट भगाया ,पतो न चाल्यो वाको,

गज ग्राहक लड़े जल भीतर, लड़त लड़त गज थाको,
गज की कूक सुनी दरगाह में, गरुड़ छोड़कर भागो,

कौरव पांडवा के भारत रचियो ,हुयो मरबा को आंको,
पांडवा के भीड़ कृष्ण चढ़ आया, बाल न हुयो बांको,

भारत मे भवरी का अंडा, बले काळजो मां को,
गज का घंटा टूट पडिया, बांण मोखला फांको,

कोरवा का भेज्या पांडव के आया, कोने दोष गुरां को,
तीन बात की करि थरपना ,पेड़ लगायो आम्बा को,

के लख केऊ के लख वर्णों ,सारियो काम गणा को,
सूरदास की आई विनती ,सत्य वचन मुख भाको,

गायक - चम्पा लाल प्रजापति मालासेरी डूँगरी
                89479-15979
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