सब में तू है ना दूसरा कोई,
कैसे केहदूँ के है बुरा कोई।
पहले लगता था, अब नहीं लगता,
तुम में, मुझ मे है फासला कोई॥
हर जगह है खुदा तो पूछो भला,
क्यूँ खुदा को है पूजता कोई॥
कोई कैसे करे गुनाह अगर,
इलम हो के है देखता कोई॥
किस दिए से है सब दिए रोशन,
काश समझे यह सिलसिला कोई॥