सब कुछ मिला है न कोई गिला है,
मेहरबानियों का तेरी ये सिलसिला है,
सब कुछ मिला है न कोई गिला है,
इतने ही भूखे थे के करते इबादत,
उनको नहीं है कोई तुमसे शिकायत,
उनसे ही सीखी हमने बाबा ये आदत,
कर्मो का अपने ये सब सिला है,
मेहरबानियों का तेरी ये सिलसिला है,
सब कुछ मिला है न कोई गिला है,
जब से तुम्हारी रेहमत हुई है,
सुमिरन की तेरे आदत पड़ी है,
मेरा ठिकाना तेरी चौकठ हुई है,
तेरी दया से ये जीवन खिला है
मेहरबानियों का तेरी ये सिलसिला है,
सब कुछ मिला है न कोई गिला है,
जब से बना रोमी तेरी दीवाना दर पे हुआ तेरे बाबा आना जाना,
रेहमतो का तेरी बाबा करू शुकराना,
अटल ये भरोसा कभी न टला है
मेहरबानियों का तेरी ये सिलसिला है,
सब कुछ मिला है न कोई गिला है,