बता दो जगत के मालिक,तेरा दीदार कहाँ होंगा,
कोई ढूढे है काशी मे,कोई ढूढे है काबे में,
पता नही चला किसी को,मेरे सरदार कहाँ होंगे,
कोई भस्मी रमावे अंग,कोई नाम जपे हरदम,
कोई खोजे कन्दराओ मे,मेरे किरतार कहाँ होंगे ,
कोई करे ध्यान योगी जन,रोक कर स्वास ओर मन को,
दशवे द्वार मे खोजे,परवरदिगार कहाँ होगे ,
क्यु भटकता फिरता है,दुनियां के झमेले में,
खोज ले अपने घट भीतर,निराकार वहाँ होगे,
हजारो जतन तु करले,अगन के बीच में तप ले.,
सदानन्द हर घट मे,मेरे सरकार वहाँ होगे ,
रचनाकार:-स्वामी सदानन्द जोधपुर
M.9460282429