जब नयना नीर भरे जब अँखियाँ नीर भरे
लूट-लूट दधि माँखन खायो,
ग्वाल बाल संग रास रचायो ,
जब बंशी की टेर करे जब नयना नीर भरे
मात यशोदा ओर वृजवासी,
वृन्दावन की गोपीयां उदासी,
जब छोङ के कृष्ण चले जब नयना नीर भरे
दुःशासन की मति गई मारी ,
चीर खैचण की कीवी तैयारी,
जब द्रोपदी टेर करे जब नयना नीर भरे
हरि भक्तो के सदा सहाई,
नरसी जी की नानी बाई ,
जब आकर भाँत भरे जब नयना नीर भरे
सदानन्द कहे सुणलो सब ही ,
हरी को याद करे कोई कब ही ,
हरि आवत आप घरे जब नयना नीर भरे
रचनाकार:-स्वामी सदानन्द जोधपुर
M.9460282429