ये माया तेरी,अजब निराली भगवान,
बङे-बङे ॠषियों को लूटा,शूर वीर बलवान,
हाड माँस का बना पूतला,ऊपर चढा है चाम,
देख-देख सब लोग रिझावे,केवल रूप ओर नाम,
हाथ पैर इनके नही दीखे,फिर भी करे सब काम,
आँख कान रसना नही इनके,फिर भी है सब ज्ञान,
करते है उपदेश ओरा को,भूल गया निज खाम,
ओरो की उलझन में फसकर,अपना काम तमाम,
आ माया है जगत डाकणी,नही करती विश्राम,
सदानन्द निज रूप को जानो,मिथ्या जगत तमाम,
रचनाकार:-स्वामी सदानन्द जोधपुर
M.9460282429