कंठ समाओ स्वर को सजाओ जीवन धन्य बनाओ,
मैं मूरख अज्ञानी मैया ज्ञान की राह दिखाओ,
आओ आओ शारदे माँ आओ आओ शारदे माँ,
सुर न जानू ताल न जानू सरगम को मैं न पहचानू,
सुर समजाओ ताल बताओ विदया धन बरसाओ आओ आओ शारदे माँ,
वीणा के तार से कमल के हार से बिगड़ी बनाओ गणेश की अपने दुलार से,
वीणा बजाओ कमल खिलाओ अब तो दर्श दिखाओ,
आओ आओ शारदे माँ आओ आओ शारदे माँ,