सुन माँ मेरिये मने चूड़ी पहनादे,
उस दाता के दरबार की,
मने चूड़ी पेहना दे माई मेरी मेरे दाता के दरबार की,
जो मांगे गा देदू गी मैं किहंमत उस मन यार की ,
मने चूड़ी पेहना दे माई मेरी मेरे दाता के दरबार की,
उसके नाम का पहन के जोड़ा सदा सुहागन हो जाऊ,
खाली हाथा जांगी उसके दान दो दे ले जाऊ,
मैं उस की और वो मेरा मने चाह न परिवार की,
मने चूड़ी पेहना दे माई मेरी मेरे दाता के दरबार की,
उस का रंग चढ़े पाशे न और दुसरा रंग चढ़े.
उसका नशा करे पाशे न सुल्फा गांजा भंग चढ़े,
चाहे दुनिया ताने मारो मने परवाह न संसार की,
मने चूड़ी पेहना दे माई मेरी मेरे दाता के दरबार की,
अपने पिया की प्यारी बनु मन गीत प्यार का गाना से,
पकड़ के उसका पला माये मने परली पार मने जाना से,
उस राह मेरे मेहला मैं कह दिए न भूखी उसके प्यार की,
मने चूड़ी पेहना दे माई मेरी मेरे दाता के दरबार की,