चौंसठ जोगणी रे

चौंसठ जोगणी रे भवानी, देवलिये रम जाय...
घूमर घालणि रे भवानी, देवलिये रम जाय...
देवलिये रम जाय म्हारे, आंगणिये रम जाय...
चौंसठ जोगणी रे भवानी, देवलिये रम जाय...
घूमर घालणि रे भवानी, देवलिये रम जाय...

हंस सवारी कर मेरी मैया, ब्रम्हा रूप बणायो...
ब्रम्हा रूप बणायो नवदुर्गा, ब्रम्हा रूप बणायो...
चार वेद मुख चार बिराजे, चारां रो जस गायो...
घूमर घालनी रे भवानी.....

गरुड़ सवारी कर मेरी मैया, विष्णु रूप बणायो...
विष्णु रूप बणायो नवदुर्गा, विष्णु रूप बणायो...
गदा पदम संग चक्र बिराजे, मधुबन रास रचायो...
घूमर घालनी रे भवानी.....

नंदी सवारी कर मेरी मैया, शंकर रूप बणायो...
शंकर रूप बणायो नवदुर्गा, शंकर रूप बणायो...
जटा मुकुट में गंगा छलके, शेष नाग लिपटायो...
घूमर घालनी रे भवानी.....

सिंघ सवारी कर मेरी मैया, शक्ति रूप बणायो...
शक्ति रूप बणायो नवदुर्गा, शक्ति रूप बणायो...
सियाराम तेरी करे स्तुति, भक्त मंडल जस गायो...
घूमर घालनी रे भवानी.....

- संकलनकर्ता
अमित अग्रवाल 'मीत'
मो. 9340790112
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