पता कुछ नहीं है कहाँ जा रहा हूँ

पता कुछ नहीं है कहाँ जा रहा हूँ
कहाँ जा रहा हूँ
तू ले जा रहा है वहाँ जा रहा हूँ
वहाँ जा रहा हूँ
पता कुछ नही हैं कहां जा रहा हूँ
कहाँ जा रहा हूँ

कृष्ण की प्रेम बाँसुरिया सुन भई वो प्रेम दिवानी
जब-जब कान्हा मुरली बजाएँ दौड़ी आये राधा रानी,
पता कुछ नही हैं कहां जा रहा हूँ
कहाँ जा रहा हूँ

तू अंधे की लाठी पता बेपता का
मैं फल पा रहा हूँ अपनी खता का
कहाँ से कहाँ ठोकरें खा रहा हूँ
ठोकरें खा रहा हूँ
पता कुछ नही हैं कहां जा रहा हूँ
कहाँ जा रहा हूँ

कदम जो तेरे आशियाने में रखा
मजा खूब मैं तेरी उल्फत का चखा
फ़ना हो रहा फिर भी रंग ला रहा हूँ
फिर भी रंग ला रहा हूँ
पता कुछ नही हैं कहां जा रहा हूँ
कहाँ जा रहा हूँ

तुम्हारे लिए मैंने छोड़ा ज़माना
मगर तुम भी करने लगे हो बहाना
मैं तिनके की जैसे बहा जा रहा हूँ
बहा जा रहा हूँ
पता कुछ नही हैं कहां जा रहा हूँ
कहाँ जा रहा हूँ

सुनो श्याम बहादुर कन्हैया रंगीला
ना पहचान पाया शिव तेरी लीला
सितम दिलरुबा का सहा जा रहा हूँ
सहा जा रहा हूँ
पता कुछ नही हैं कहां जा रहा हूँ
कहाँ जा रहा हूँ

पता कुछ नहीं है कहाँ जा रहा हूँ
कहाँ जा रहा हूँ
तू ले जा रहा है वहाँ जा रहा हूँ
वहाँ जा रहा हूँ
पता कुछ नही हैं कहां जा रहा हूँ
कहाँ जा रहा हूँ।।
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