को माता को पिता हमारे
कब जनमत हमको तुम देख्यो,
हँसी लगत सुन बैन तुम्हारे
कब माखन चोरी कर खायो,
कब बांधे महतारी
दुहत कौन सी गइया चारत,
बात कही जे भारी
तुम जानत मोहि नंद ढ़िठौना,
नंद कहा ते आये
हम पूरन अविगत अविनासी,
माया ठगनी भुलाये
ये सुन ग्वालिन सब मुस्कानी,
हरष मगन हो उठाये
सूर श्याम जो निठुरैं सबहीं,
मात पिता हूँ नहीं माने