नज़रें चुरा के बैठे सरकार क्यों बताओ
कबसे खड़े हैं दर पे पलकें ज़रा उठाओ
रुस्वाई आपकी ये हमसे सही ना जाये
गुज़री है दिल पे जो भी तुमसे कही ना जाए
खामोश ये जुबां भी अब तो रही ना जाए
हमसे हुई खता क्या इतना ज़रा बताओ
नज़रें चुराके बैठे ..........
बेचैन कर रही है खामोशियाँ ये तेरी
नादाँ हूँ माफ़ कर दे बदमाशियां तू मेरी
हमपे भी तो चढ़ा दे मदहोशियाँ वो तेरी
चरणों का अब दीवाना हमको ज़रा बनाओ
नज़रें चुराके बैठे ..........
माना खता हुई है तू माफ़ श्याम करना
पागल समझ के मुझको दिल साफ़ श्याम करना
छोटा मैं तुम बड़े हो इन्साफ श्याम करना
ड्योढ़ी पे हर्ष आया अपने गले लगाओ
नज़रें चुराके बैठे ..........