हमे कोई समझ ना पाये बिहारी जी के पागल है
किसे दिल का हाल सुनाये सब अपनी अपनी गाये, बिहारी जी के पागल है
जब से गये है हम वृन्दावन में
तब से नही है मन मेरा बस में
मनमोहन को दे आये , बिहारी जी के पागल है
जब से सुना है मेने नाम श्री राधा
लगता जीवन मुझको आधा आधा
वृन्दावन कुटिया बनाये , बिहारी जी के पागल है
कृष्णगोविंद के बाँके बिहारी
सुनी है तुम बिन दुनिया हमारी
कहो अब जिये या मर जाय
तेरे बिन हम रह नहि पाए
बिहारि जी के पागल है