मेरे मन बस गए गोपाल

मेरे मन बस गए गोपाल,
मैं उनकी री जोगीनिया, मैं उनकी री जोगीनिया,
मोहे भावे ना ससुराल, मैं उनकी री जोगीनिया,
मेरे मन बस गए गोपाल.....

मुख श्यामल बड़ा सलोना, जैसे हो कोई खिलौना,
काले घूंघर वाले बाल, मैं उनकी री जोगीनिया,
मोहे भावे ना ससुराल, मैं उनकी री जोगीनिया,
मेरे मन बस गए गोपाल.....

उनके मुरली अधर सुहावे, जो प्रेम का रस बरसावे,
दोऊ नैना बड़े विशाल, मैं उनकी री जोगनिया,
मोहे भावे ना ससुराल, मैं उनकी री जोगीनिया,
मेरे मन बस गए गोपाल.....

मेरे मन में बसी छवि प्यारी, सुन लो जी सास हमारी,
कैसे मन से दम निकाल, मैं उनकी री जोगनिया,
मोहे भावे ना ससुराल, मैं उनकी री जोगीनिया,
मेरे मन बस गए गोपाल.....

मैं तो उनके ही रंग में रंगूंगी, मोहन का नाम जपूंगी,
मेरे स्वामी है नंदलाल, मैं उनकी री जोगनिया,
मोहे भावे ना ससुराल, मैं उनकी री जोगीनिया,
मेरे मन बस गए गोपाल.....

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